
बॉलीवुड के पर्दे से उठकर संसद के गलियारों में पहुंचे रवि किशन अब सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र के रॉकस्टार सांसद बन चुके हैं।
गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन शुक्ला को संसद रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। अब संसद में सिर्फ मुद्दे नहीं उठते, बल्कि डायलॉग डिलीवरी भी होती है—”ये गोरखपुर की मिट्टी की ख़ुशबू है सरकार!”
सम्मान की मचान: संसद रत्न पुरस्कार 2025
स्थान: नया महाराष्ट्र सदन, नई दिल्ली
मुख्य अतिथि: किरेन रिजिजू
अध्यक्ष: हंसराज अहीर
आयोजक: Prime Point Foundation
यह पुरस्कार शुद्ध आँकड़ों और शुद्ध कर्म पर आधारित है—बिना TRP, बिना स्क्रिप्ट।
रवि किशन का 2024-25 का प्रदर्शन:
123 सवाल दागे – विपक्ष भी सोचने लगा कि ये नेता है या क्विज़ मास्टर?
14 बहसों में भाग – और हर बार डायलॉग वैसा कि संसद गूंज उठे
3 निजी विधेयक – हाँ, स्क्रिप्ट खुद लिखी
उपस्थिति: हाई – इतना तो क्लास में भी नहीं जाते थे!
“यह पुरस्कार गोरखपुर की जनता का है”
रवि किशन ने भावुक होते हुए कहा:
“यह मेरा नहीं, गोरखपुर की पवित्र मिट्टी का सम्मान है। पूर्वांचल की आवाज़ अब संसद की रिकार्डिंग में भी बज रही है।”
उन्होंने आगे पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, और योगी आदित्यनाथ जी का आभार जताया, और साथ ही Prime Point Foundation को धन्यवाद दिया।
(सच कहें तो इतना विनम्र ‘हीरो’ आपको चुनावी पोस्टरों में भी नहीं मिलेगा!)
अभिनेता से सांसद – और अब ‘रत्न’
जब संसद में डायलॉग सही हों, स्क्रिप्ट मुद्दों पर आधारित हो, और किरदार जनसेवक हो – तो ऑडियंस (यानी जनता) भी सीटियाँ बजाती है।
रवि किशन ने संसद में बार-बार शिक्षा, पूर्वांचल विकास, युवा रोजगार, फिल्म इंडस्ट्री और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दे उठाए हैं। उन्हें संसद में देखकर लगता है—“अगर ‘पार्लियामेंट’ बॉलीवुड होती, तो ये फिल्म हिट होती।”
संसद रत्न: लोकतंत्र के असली ‘स्टार्स’ का सम्मान
इस पुरस्कार की शुरुआत 2010 में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सुझाव पर हुई थी। इसमें न कोई फेवरिटिज्म, न कोई जूरी गेम। बस ठोस काम – और वही तय करता है कि कौन रत्न बनेगा।
इस बार कुल 17 सांसदों और 2 समितियों को सम्मान मिला – मगर गोरखपुर वालों ने सिर्फ एक ही नाम याद रखा – रवि किशन।
गोरखपुर में ढोल-नगाड़ों की गूंज
जैसे ही ये खबर पहुंची, गोरखपुर के तारामंडल क्षेत्र में समर्थकों ने ढोल बजाए, मिठाई बाँटी, और इंस्टाग्राम स्टोरीज़ डालीं। नेताओं की जीत पर ये पहली बार था जब “रजनीगंधा” से नहीं, “गौरव” से मुँह मीठा किया गया।
संसद में काम करो, ‘रत्न’ खुद मिलेगा
रवि किशन की यह उपलब्धि सिर्फ एक पुरस्कार नहीं, यह लोकतंत्र में निरंतर सक्रियता और प्रतिबद्धता का पोस्टर-बॉय है।
एक सबक है बाकी जनप्रतिनिधियों के लिए भी—मुद्दों पर बोलिए, जनता दिल से वोट देती है।
“जब दुबई में भिड़ेंगे भारत-पाकिस्तान – छक्कों से होगी आतिशबाज़ी!”